शिकार और जंगलों की कटाई के लिए बदनाम खोनोमा ने खुद को बदला, पहला ग्रीन विलेज बना, अब ऑर्गेनिक को बनाएंगे पहचान
By : Devadmin -
फांजवबम चिंखेंगबा | इंफाल .नगालैंड का खोनोमा गांव कभी शिकार और जंगलों की कटाई के लिए बदनाम था, लेकिन अाज यह देश के पहले ग्रीन विलेज के रूप में पहचाना जाता है। 2020 में इसने पूरी तरह ऑर्गेनिक बनने का संकल्प लिया है। स्वयं को बदलने के ये फैसले हमेशा से गांव ने खुद लिए और सख्ती से खुद पर लागू भी किए हैं।
नगालैंड के वाइल्डलाइफ एडवाइजरी बोर्ड में शामिल गांव के तिली शकीरे कहते हैं कि 1990 के दशक में गांव हरियाली से ढंका हुआ था। आसपास के जंगल में दुर्लभ वन्यजीव रहते थे, लेकिन फिर शिकार और जंगलों की कटाई ने पारिस्थितिक तंत्र उजाड़ दिया। 1994 में गांववालों ने शिकार प्रतियोगिता में एक ही हफ्ते में 300 से अधिक ब्लिथ ट्रगोपोपन पक्षियों का शिकार कर डाला। एक साथ इतने मृत पक्षियों को देख बुजुर्ग सकते में आ गए और तय किया कि अब न जंगल काटेंगे और न शिकार होगा। लेकिन यह इतना आसान नहीं था, क्योंकि कई आदिवासी परिवार जंगलों की कटाई और शिकार पर निर्भर थे। यही उनकी सांस्कृतिक परंपरा भी थी। गांव वालों ने दिसंबर 1998 में 25 वर्ग किमी के इलाके को ‘खोनोमा नेचर कंजरवेशन और ट्रगोपोपन सैंक्चुरी’ बना दिया। शिकार पर 3 हजार रु. जुर्माना रखा गया।
अगर कोई दूसरी बार पकड़ा जाता तो हुक्का-पानी बंद करने का नियम बना। गांववालों ने गौ-पालन सीखा। खेती को अपनाया। धान की खेती अब हर परिवार करता है, जिससे 5 लाख रु. तक की आय हो रही है। साथ ही लहसुन, आड़ू और सब्जियां भी उगाना शुरू किया। लहसुन की खेती तो सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। इन परिवर्तनों के बाद सैंक्चुरी देखने पर्यटक आने लगे इसलिए युवाओं को गाइड के तौर पर तैयार किया जाने लगा। घरों को होम-स्टे में बदला गया। 2004 में गांव को सरकार ने ग्रीन विलेज घोषित किया। शकीरे कहते हैं कि इस साल हम पूरी तरह ऑर्गेनिक खेती को अपनाने जा रहे हैं। कोशिश होगी कि बाहर से कुछ भी न मंगवाना पड़े।
छात्र करते हैं सफाई की समीक्षा, हथियार पर जुर्माना
गांव में पाॅलिथिन प्रतिबंधित है। पर्यटकों को आने के लिए प्रशासन से परमिट लेना पड़ता है। खोनोमा स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अखोलाई खाटे बताते हैं कि छात्र हर महीने स्वच्छता की समीक्षा करते हैं और कोई शिकार न करे इसकी निगरानी भी करते हैं। सैंक्चुरी में हथियार ले जाने पर 10 से 20 हजार रुपए का जुर्माना है।
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Source: Health