गंगा के उद्गम स्थल से 150 किमी से ही खतरनाक बैक्टीरिया की भरमार, इन पर एंटीबायोटिक भी बेअसर

गंगा के उद्गम स्थल से 150 किमी से ही खतरनाक बैक्टीरिया की भरमार, इन पर एंटीबायोटिक भी बेअसर



हेल्थ डेस्क. गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट बैक्टीरिया का स्तर बढ़ रह है। ये वो बैक्टीरिया हैं जिन पर एंटीबायोटिक का भी असर नहीं होता। यह बात इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की वार्षिक जांच में सामने आई है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा नदी में पानी के तेज बहाव के बाद भी ऐसे बैक्टीरिया बढ़ रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक,आईआईटी के बायोकेमिकल विभाग से जुड़े प्रोफेसर शेख जियाउद्दीन अहमद कहते हैं कि गंगा मेंबैक्टीरिया का स्तर काफी ज्यादा है और इसकी वजह इंसान हैं।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, नमूने में 70 फीसदी ऐसे बैक्टीरिया हैं जो आमतौर पर हॉस्पिटल में भर्ती मरीज में पाए जाते हैं। जिन पर एंटीबायोटिक बेअसर होती हैं। बैक्टीरिया की संख्या ऐसे जगहों पर भी देखी गई है जहां नदी की चौड़ाई बेहद कम है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट बैक्टीरिया इसके उद्गम स्थल से महज 150 किलोमीटर की दायरे में मिलने शुरु हो जाते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की 2017 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंट बैक्टीरिया की दर सर्वाधिक है। भारत में किस तरह रेसिस्टेंट बैक्टीरिया अपना दायरा बढ़ा रहा है लैंसेट जर्नल इसकी पुष्टि भी करता है। जर्नल के मुताबिक, भारत में संक्रमण की दर काफी ज्यादा है। 57 फीसदी संक्रमण तो सिर्फ क्लेबसिएल्ला निमोनी नाम की बैक्टीरिया से फैलता है। जो आमतौर पर आंतों में पाई जाती है लेकिन जब शरीर के दूसरे हिस्से में पहुंचती है तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है। इस पर भी आम एंटीबायोटिक बेअसर है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्दी के दिनों में गंगोत्री वाले क्षेत्र में जनसंख्या 1 लाख होती है लेकिन गर्मी और तीर्थयात्रा के दिनों में संख्या बढ़कर 5 लाख तक पहुंच जाती है। यहां लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट केवल 78 हजार लोगों के लिए ही काफी है। पर्यटकों की इतनी संख्या के लिए ये प्लांट नाकाफी साबित होते हैं। रिपोर्ट में गंगा को दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक बताया गया है। भारत की एक तिहाई जनसंख्या प्यास बुझाने से लेकर खेती और व्यवसाय के लिए गंगा पर निर्भर है।

प्रोफेसर शेख अहमद कहते हैं, ऐसे मौके पर सरकार अस्थायी शौचालय लगवाती तो है लेकिन बारिश और आंधी के कारण मल बहकर नदी में जाता है। इंसान की आंतों में 1 हजार से ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। एक स्वस्थ इंसान के शरीर में इनकी 150 प्रजाति रहती हैं जो भोजन के लिए एक-दूसरे से लड़ती रहती हैं। नदी में नहाने पर एक इंसान से एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट बैक्टीरिया निकलकर पानी में जाता है। यह दूसरे स्वस्थ इंसान के शरीर में पहुंचता है और अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर अपना दायरा बढ़ाता है। हम लोगों से हजारों साल पुरानी परंपरा खत्म करने को नहीं कह रहे, हम चाहते हैं सरकार पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए कोई कदम उठाए।

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A glut of antibiotic resistant bacteria 150 km from the origin of the Ganges, these 70% are found in patients with severe infection.

Source: Health

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